अपनी दोस्ती कोई पेप्सी” नहीं,
जो हर दिन मांगे……. मोर…..।
अपनी दोस्ती तो LIC है
जो जिन्दगी के साथ भी, जिन्दगी के बाद भी।
उन फूलों से क्या दोस्ती करोगे
जो एक बार खिले और मुरझा गए।
दोस्ती हम जैसे काटों से करो,
जो एक बार चुभे और बार बार याद आए।
जिन्दगी किसी की अमानत नहीं होती,
अमानत की कभी कोई कीमत नहीं होती।
हमसे दोस्ती जरा सम्भल कर करना ,
दोस्ती में कोई जमानत नहीं होती।
दोस्ती वह शब्द नहीं जो मिट जाए,
उम्र नहीं जो ढल जाए,
सफर नहीं जो मुकाम पाए, ये वह एहसास है,
जिसके लिए अगर जिया जाए,
तो जिन्दगी भी शायद कम पड़ जाए |
~प्रांजल भारत दिवाकर
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